मेरी पुकार
मेरा प्यारा देश जल रहा संघर्षों की ज्वाला में, नित-नूतन महफ़िल सजती है सत्ता की मधुशाला में. कोई फर्क नहीं पड़ता हलधर का कमल सा पंजा है, भोली जनता की गर्दन पर सबने कसा सिकंजा है. ...
अनजान मुसाफिर हूँ , सच लिखता हूँ इसलिए बागी कहलाता हूँ, डिजिटल वाली इस दुनिया में क्लासिक सा दिखता हूँ।। ज्यादा जानना हो तो ब्लॉग पढ़ लेना । जय हिन्द