Posts

मेरी पुकार

मेरा प्यारा देश जल रहा संघर्षों की ज्वाला में, नित-नूतन महफ़िल सजती है सत्ता की मधुशाला में. कोई फर्क नहीं पड़ता हलधर का कमल सा पंजा है, भोली जनता की गर्दन पर सबने कसा सिकंजा है. ...

ख़यालों का क्या करूं

मेरे ख़ुदा मैं अपने ख़यालों का क्या करूँ अंधों के इस नगर में उजालों का क्या करूँ चलना ही है मुझे मेरी मंज़िल है मीलों दूर मुश्किल ये है कि पाँवों के छालों का क्या करूँ दिल ही ...

वो कलाम था - कलाम सर को समर्पित

धरती पर जो जन्मा वो इंसान था गरीबी ने जिसे सींचा वो इंसान था मेहनत से जिसने नाम कमाया वो इंसान था पर सबको रुला के छोड़ गया वो ‘कलाम’ था भारत माँ भी रो पड़ी जिसके लिए वो कलाम था ना ...

कॉलेज का पहला दिन

अभी 3 दिन पहले ही 21 जुलाई बीती तो और फिर फेसबुक पर पुरानी फोटो आ गई जिस से फिर से मेरे कॉलेज का प्रथम दिन याद आ गया । 21 जुलाई 2011 अाज भी याद है वो दिन । अरे उस दिन को कैसे भूल सकता हूं , मेरे कॉलेज का पहला दिन । सबसे पहले बता दूं जब मैंने कॉलेज में एडमिशन लिया उस कॉलेज के बारे में लोगों की अवधारणा ठीक नहीं थी । छात्रों की नजर में मेरा कॉलेज मोती लाल नेहरू सांध्य कॉलेज अच्छे कॉलेज में नहीं आता था । आता भी कैसे एक तो इवनिंग कॉलेज यानी सिर्फ 4 घंटे मिलते थे । कोई ज्यादा मौज-मस्ती नहीं सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई और ऊपर से ज्यादा मनमोहक लड़कियां भी कम दाखिला लेती थी जिस वजह से भी छात्रों का मन कम ही लगता था । लड़कियों की बात इसलिए की क्योंकि कॉलेज के बात हो और लड़कियों को शामिल न किया जाए तो शायद बेमानी होगी । मैं भी उनमें से ही था पर थोड़ा शर्मिला था । लड़कियों से बात करने से कतराता था । बात करते करते मुद्दे से भटक गया । अब आते है सीधे कॉलेज के पहले दिन की उस मीठी सी याद पर । 20 जुलाई से ही मैं ललायित था कॉलेज जाने को मन हिचकोले मार रहा था । तरह-तरह के प्लान मन में बन रहे थे कि ये करूं...

क्योंकि बहुत कुछ है , जिसे मैं फूंक देना चाहता हूं

मैं सिगरेट नहीं पीता,लेकिन फिर भी अक्सर लोगों से पूछता हूं,माचिस है क्या?... .....क्योंकि बहुत कुछ है जिसे मैं फूंक देना चाहता हूँ, कुछ ऐसी यादें जो अक्सर मुझे सोने नहीं देती और, कुछ...

अभी जान बाकी है

​अभी तो पूरी उड़ान बाकि हैं  अभी तो मेरी पहचान बाकि हैं  अच्छा लिखूं तो पढ़ते रहना  क्योंकि अभी मेरे विचार बाकि हैं  इस शहर में लगता हैं एक अकेलापन अजीब सा  शायद यहां अमीरों म...

कोशिश कर रहा हूँ

इंसान की खामोशियाँ भी कहती है बहुत कुछ मै इन खामोशियो को समझने की कोशिश कर रहा हूँ किसी की आँखें बात करती है तो कोई इशारों बात करता है मै इनके भावो को समझने की कोशिश कर रहा हूँ...