Posts

Showing posts with the label दिल की बात

कहानी Bharat Gyanakshar बनने की , The story of becoming a Bharat Gyanakshar

Image
अक्सर आप सभी पूछते हैं कि आखिर मैं सबकी इतनी मदद क्यों करता हूँ , आज के लालची दौर में भी सबको हर चीज फ्री में क्यों उपलब्ध करवाता हूँ । आज इसका जवाब में इस लेख के करिए दूंगा आप सभी को । जो मदद मुझे कभी नहीं मिली उसके लिए किसी छात्र को परेशान न होना पड़े उसी का नतीजा हैं Bharat Gyanakshar  बात उस समय की हैं जब मेरा कॉलेज में एडमिशन हुआ । मुझे आज भी याद हैं cut off की लड़ाई लड़ने के बाद रात के 10 बजे मेरा एडमिशन पूरा हुआ । उस समय मदद करने वाला कोई नहीं था । कॉलेज का हाल आज के मुकाबले बहुत ज्यादा खराब थे । सही जानकारी देने वाला कोई नहीं था और सही जानकारी न होने के कारण 4 बार मेरा फ़ॉर्म गलत हुआ । चलो जैसे तैसे कॉलेज में आ गए । लेकिन जब आपको कॉलेज के पहले दिन ही थप्पड़ पड़ जाएं तो आप भी सोच रहे होंगे कि अरे ये क्या हुआ । जी हाँ मुझे भी ऐसा ही लगा था । मोती लाल में चुनाव इतना जरूरी है ये बाद में पता लगा पर वोट किसे दूंगा इस सवाल पर पहले दिन थप्पड़ जरूर लग गया था । अब नया खून दिमाग़ घूम गया । कॉलेज बदलने की सोच ली थी तो लग गए उस काम में । कुछ अच्छे सीनियर मिले गौतम भाई और नीरज कान्त । आज भी याद ...

जनरल करियप्पा आखिर क्यों नहीं मिलता भारत रत्न ?

Image
जनरल करियप्पा भारत रत्न के लायक नहीं है" ( - कांग्रेस) क्योंकि स्वतन्त्रता के बाद भी अंग्रेज सेनाध्यक्ष के अधीन रहने वाली भारतीय सेना के मुख्यालय द्वारा 6 जुलाई 1948  को  "जम्मू-कश्मीर में कोई बड़ा अभियान नहीं छेड़ने " के स्पष्ट आदेश का उल्लंघन करके उन्होंने कारगिल और लदाख पर भारत का अधिकार कराया था और उसके बाद केन्द्र सरकार की राय के विरुद्ध पाकिस्तानी सेना को श्रीनगर की सीमा से खदेड़कर जब बहुत दूर भेज दिया तो नेहरु ने UNO में मामले को लटकाकर युद्ध-विराम करा दिया, हालाँकि जनरल करियप्पा की राय थी कि पहले पूरे जम्मू-कश्मीर को स्वतन्त्र करा लें। उसके बाद जहाँ जो पंचैती करानी हो कराते रहें | गिलगित में पाकिस्तान का झंडा फहराने का  विचार वहां के लोगों का नहीं था, 2 नवम्बर 1947 को ऐसा करने का आदेश अंग्रेज अफसर मेजर ब्राउन ने दिया था क्योंकि वे जानते थे कि यदि भारत के अधीन गिलगित रहा तो वहां इंग्लैंड या अमरीका अपना फौजी अड्डा नहीं खोल पायेंगे | संसार में अमरीका का सबसे बड़ा फौजी अड्डा आज भी गिलगित में ही है, लेकिन नेहरु की बदनामी न हो इस कारण उसपर अमरीकियों ने पाकि...

कॉलेज का पहला दिन

अभी 3 दिन पहले ही 21 जुलाई बीती तो और फिर फेसबुक पर पुरानी फोटो आ गई जिस से फिर से मेरे कॉलेज का प्रथम दिन याद आ गया । 21 जुलाई 2011 अाज भी याद है वो दिन । अरे उस दिन को कैसे भूल सकता हूं , मेरे कॉलेज का पहला दिन । सबसे पहले बता दूं जब मैंने कॉलेज में एडमिशन लिया उस कॉलेज के बारे में लोगों की अवधारणा ठीक नहीं थी । छात्रों की नजर में मेरा कॉलेज मोती लाल नेहरू सांध्य कॉलेज अच्छे कॉलेज में नहीं आता था । आता भी कैसे एक तो इवनिंग कॉलेज यानी सिर्फ 4 घंटे मिलते थे । कोई ज्यादा मौज-मस्ती नहीं सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई और ऊपर से ज्यादा मनमोहक लड़कियां भी कम दाखिला लेती थी जिस वजह से भी छात्रों का मन कम ही लगता था । लड़कियों की बात इसलिए की क्योंकि कॉलेज के बात हो और लड़कियों को शामिल न किया जाए तो शायद बेमानी होगी । मैं भी उनमें से ही था पर थोड़ा शर्मिला था । लड़कियों से बात करने से कतराता था । बात करते करते मुद्दे से भटक गया । अब आते है सीधे कॉलेज के पहले दिन की उस मीठी सी याद पर । 20 जुलाई से ही मैं ललायित था कॉलेज जाने को मन हिचकोले मार रहा था । तरह-तरह के प्लान मन में बन रहे थे कि ये करूं...