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कॉलेज के आखिरी दिन की यादें / Memories of the last day of college

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  कल कॉलेज का अंतिम दिन हैं, ये सोच सोच कर मन बहुत भारी हो रहा था। दिमाग से ये निकल गया था कि अंतिम दिन से पहले एक आखिरी 3 घंटे का समय बाकी था जो अपने क्लास की सभी दोस्तों के साथ बिताने वाले थे । आजन की रात भी बहुत भारी साबित हो रही थी । कुछ भी पढ़ने का मन नहीं कर रहा था । सुबह हुई फिर याद आया आज है कॉलेज का अंतिम दिन और मन भरा हुआ है असीमित यादों से । वो यादें जो क्लास के अंदर से लेकर बाहर किए हुए हर कांड आँखों के सामने आ गया । अभी ज्यादा समय थोड़ी बीता था जब हम कॉलेज आए थे, कोई कैन्टीन घूम रहा था तो कोई कॉलेज के मैदान में ग्रुप में बैठ कर गप्पे मार रहा था । धीरे धीरे कॉलेज शुरू हुआ, सोसाइटी मीटिग , फेस्ट , एनसीसी , NSS , चुनाव ये सब इस कॉलेज लाइफ का हिस्सा बन गए पता ही नहीं चला । कॉलेज के गार्ड भैया से लेकर चाय वाले तक से ऐसे बातें करना जैसे ये हमारे परिवार का हिस्सा ही तो थे ।  कॉलेज का वो पहला दिन कॉलेज का पहला दिन कौन भूल सकता है. स्कूल के बाद घर से मिली आजादी की खुशी मनाने का दिन जो था. उस दिन कॉलेज की ओर बढ़ने वाला हमारा हर कदम दिल की धड़कन और भी बढ़ा देता था. खुशी और घबर...

भावनाओं के समुन्द्र को दर्शाती सुशांत की आखिरी फिल्म दिल बेचारा

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सुशांत सिंह राजपूत फिल्म जगत का बहुत ही होनहार और उभरता हुआ सितारे थे. उनका जाना उनके फैंस व तमाम फ़िल्मी जगत में रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक सदमे से भरा था. उनके जाने का हर किसी को बहुत ही ज्यादा गम था क्योकि इतना उम्दा कलाकार सदियों में एक होता हैं. जिस दिन सुशांत की आत्महत्या की खबर आई थी, ये मेरे लिए भी उतनी ही सदमे से भरी थी जितनी की सबके लिए, विश्वास ही नहीं हो रहा था कि छिछोरे फिल्म जिसमें वो अपने बेटे को बता रहे थे कि मरना किसी समस्या का हल नहीं है और उसी शख्स ने ऐसा काम कर लिया। मेरे अंदर सुशांत के लिए बहुत ज्यादा गुस्सा था और है भी क्योकि मैं भी एक इंसान हूँ और हर पहलु के हिसाब से सोचता हूँ. एक मेंटर के तौर पर सुशांत ने आत्महत्या करके अच्छी मिशाल पेश नहीं की क्योकि मेरे जैसे लाखों युवा उनको देख कर जीते हैं. उनकी हेयर स्टाइल से लेकर उनकी हंसी तक कॉपी करते है. सुशांत की एक्टिंग का और उनके स्ट्रगल का बहुत बड़ा फैन हूँ और उनकी हिम्मत न हारने वाली बात का कुछ कर गुजरने की ताकत से बहुत कुछ सिखने को मिला। सुशांत की मौत ने कई सवाल भी खड़े कर दिए शायद जो कि हर चकाचौंध से भरी दुनि...

अफगानिस्तान क्रिकेट युद्ध के साए से उभरा देश,Afghanistan emerged from the shadow of the war of Afghanistan

उस देश कहानी जहां आतंकवाद किसी को खड़ा नहीं होने देता, किसी को जीने नहीं देता । वह देश जहां क्रिकेट एक रिफ्यूजी कैंप से शुरू हुआ। तमीम मलिक जिसके पहले कोच थे एक मामूली से रिफ...

बेरोजगारी एक समस्या

बहुत दिनों से समाचार में अखबार और टीवी में देख रहा हूं कि देश में नौकरियों की कमी है, चाय पकौड़ा रोजगार पता नहीं क्या-क्या मज़ाक मीडिया में मोदी जी के भाषण के बाद चला लेकिन कि...

स्वामी विवेकानंद जी का शिकागो सम्मेलन की बातें

12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में जन्में नरेंद्र नाथ आगे चलकर स्वामी विवेकानंद के नाम से मशहूर हुए. विवेकानंद की जब भी बात होती है तो अमरीका के शिकागो की धर्म संसद में साल 1893 में दिए गए भ...

बेमिसाल सचिन

अलविदा सचिन तेंदुलकर शनिवार का दिन सचिन के नाम रहा. भारत की तरफ से मोहम्मद शमी ने जैसे ही दसवीं विकेट झटकी, मैदान में चारों ओर सचिन-सचिन का शोर गूंज रहा था. टीम इंडिया के खिलाड...