दौर - ए - सचिन

ये बात उस दौर की हैं जब कोई टीम 250 रन बना लेती थी तो उसको जीता हुआ मान लिया जाता था। भारत अपना पहला विश्व कप जीत चुका था और देश में हुए चौथे विश्व कप में टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया था । लेकिन उस समय किसी को पता नहीं था कि विश्व में एक ऐसा खिलाड़ी आने वाला हैं जो भारत में क्रिकेट की परिभाषा ही बदल देगा । साल 1989 नवंबर की कंपा देनी वाली सर्दी में मात्र 16 का बच्चा जब अपने हाथों में बल्ला लिए मैदान पर उतरा ,तो तत्कालीन पाकिस्तानी खिलाडियों के एक ही शब्द थे, 'अब ये बच्चा खेलेगा'। उस समय पाकिस्तान की गेंदबाजी में एक से बढ़कर एक तेज गेंदबाज मौजूद थे जिसमें इमरान खान, वकार और अकरम की गेंदों का तोड़ किसी के पास नहीं था। जब वकार की गेंद ने उस बच्चे के नाक को रक्तरंजित किया और साथी बल्लेबाज़ नवजोत सिंह सिददु जो अब राजनीति में भी काफी नाम कमा चुके हैं । उन्होंने अनुरोध किया कि आप वापस पवेलियन चले जाओ, उस समय दर्द को भूल कर उस बच्चे ने कहा था कि, "मैं खेलेगा..... , .....मैं खेलेगा" । अगली गेंद पर जब उसने तीर के समान सीधे करारा शॉट मारा तो उसने साबित कर दिया था कि 'वाकई वह ...