क्योंकि बहुत कुछ है , जिसे मैं फूंक देना चाहता हूं
मैं सिगरेट नहीं पीता,लेकिन फिर भी अक्सर लोगों से पूछता हूं,माचिस है क्या?...
.....क्योंकि बहुत कुछ है जिसे मैं फूंक देना चाहता हूँ,
कुछ ऐसी यादें जो अक्सर मुझे सोने नहीं देती और,
कुछ ऐसे सपने जो अक्सर याद आते हैं,
वो पुरानी किताबों में मार्कर से लगाये गए निशान,
जो सपनों को पूरा करने के जरिया हुआ करते थे कभी,
किताबों के उन पन्नों को और उस मार्कर को भी,
लिखे हुए उन पत्रों को जो मुझे ऊंचा उड़ने की हिम्मत देते थे कभी,
और उन जबाबी पत्रों को भी जिनने मेरी उड़ान को जमीन दिखाई,
उन शहरों को जिनसे अपने छूटे,सपने टूटे,
और उन जाने पहचाने चेहरों को भी, जो देख के अजनबी बन जाते हैं....
....मैं सिगरेट नहीं पीता लेकिन अक्सर लोगों से पूछता रहता हूँ कि,माचिस है क्या?...
...क्योंकि बहुत कुछ है जिसे मैं फूँक देना चाहता हूं।
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