वो कलाम था - कलाम सर को समर्पित
धरती पर जो जन्मा वो इंसान था
गरीबी ने जिसे सींचा वो इंसान था
मेहनत से जिसने नाम कमाया वो इंसान था
पर सबको रुला के छोड़ गया वो ‘कलाम’ था
भारत माँ भी रो पड़ी जिसके लिए वो कलाम था
ना हिन्दू ना मुसलमान वो ‘कलाम’ था
इंडिया 2020 का दिया सपना जिसने वो ‘कलाम’ था
रह गया अधूरा सपना आपका उसे पूरा करेगा पूरा
भारत फिर वो काम ‘कलाम’ होगा |
स्वरचित कविता की कुछ पंक्ति जनता के राष्ट्रपति के नाम
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