जनरल करियप्पा आखिर क्यों नहीं मिलता भारत रत्न ?

जनरल करियप्पा भारत रत्न के लायक नहीं है" ( - कांग्रेस) क्योंकि स्वतन्त्रता के बाद भी अंग्रेज सेनाध्यक्ष के अधीन रहने वाली भारतीय सेना के मुख्यालय द्वारा 6 जुलाई 1948 को "जम्मू-कश्मीर में कोई बड़ा अभियान नहीं छेड़ने " के स्पष्ट आदेश का उल्लंघन करके उन्होंने कारगिल और लदाख पर भारत का अधिकार कराया था और उसके बाद केन्द्र सरकार की राय के विरुद्ध पाकिस्तानी सेना को श्रीनगर की सीमा से खदेड़कर जब बहुत दूर भेज दिया तो नेहरु ने UNO में मामले को लटकाकर युद्ध-विराम करा दिया, हालाँकि जनरल करियप्पा की राय थी कि पहले पूरे जम्मू-कश्मीर को स्वतन्त्र करा लें। उसके बाद जहाँ जो पंचैती करानी हो कराते रहें | गिलगित में पाकिस्तान का झंडा फहराने का विचार वहां के लोगों का नहीं था, 2 नवम्बर 1947 को ऐसा करने का आदेश अंग्रेज अफसर मेजर ब्राउन ने दिया था क्योंकि वे जानते थे कि यदि भारत के अधीन गिलगित रहा तो वहां इंग्लैंड या अमरीका अपना फौजी अड्डा नहीं खोल पायेंगे | संसार में अमरीका का सबसे बड़ा फौजी अड्डा आज भी गिलगित में ही है, लेकिन नेहरु की बदनामी न हो इस कारण उसपर अमरीकियों ने पाकि...