इतवार तुम भी आ जाओ
इतवार तुम भी आ जाओ
कैसा-कैसा खाली गुजर जाता है ।
तुम भी नहीं इतवार बहुत ही बोरिंग सा लगता है
तुम भी अब आ जाओ ।
कैसा कैसा खाली गुजर जाता है
सुबह की चाय फीकी सी लगती है ।
दोपहर बेगाना सा लगता है
शाम रोमांटिक मौसम भी काटने को दौड़ता है ।
इस इतवार तुम भी आ जाओ
खाली खाली सा लगता है ।
पूरे हफ्ते की भाग दौड़ में तुम्हारी कमी महसूस होती है जब मिलता हूं तुमसे मैं
यह इतवार भी सुहाना लगता है ।
अबकी बार तुम जरूर आना,
ना फिर यह इतवार भी बोरिंग सा लगेगा ,
सुबह की चाय भी तुम्हारे आने से मीठी हो जाएगी । दोपहर भी प्यारा लगेगा,
शाम के रोमांटिक मौसम में,
हम एक लंबी सैर पर जाएंगे ।
वापस लौटते हुए कुल्फी का शौक फरमाएंगे,
इतवार तुम भी आ जाओ
बस अब तुम आ ही जाओ ।
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