संसद में हंगामे के भेंट चढे 144 करोड़ रुपए

आज कल मानों जैसे देश में बाकि मुख्य समस्या जैसे बेरोजगारी , गरीबी , असमानता , गरीबों को सस्ता इलाज़ आदि बहुत समस्या है हमारे देश में परतुं कुछ दिनों से ऐसा लगता हैं कि हमारे देश के विपक्ष के पास इन मुद्दों पर बात करने के लिए कुछ बचा ही नहीं हैं । इस बार हुए संसद के सत्र में विपक्ष के हंगामे के कारण एक भी बिल पास नहीं हो सका और देश की जनता की गाढ़ी कमाई के 144 करोड़ रुपये पानी की तरह बह गए और वो भी सिर्फ इनके चिल्लाने में ? क्या देश की जनता इनको सिर्फ चिल्लाने के लिए संसद में जीता कर भेजती हैं ? जो जनता खुद गरीब है क्या ये 144 करोड़ रुपये उसकी भलाई के लिए लगते तो उनका भला नहीं होता ? आखिर जब इन लोगों ने काम नहीं किया तो क्यों इनको इस सत्र के लिए भत्ता , आने जाने का खर्च , इनकी इस महीने की तनख्वाह दी जाए ?
कुछ साल पहले ऐसे विपक्ष के एक सदस्य ने बोला था हम कोई कर्मचारी थोड़ी है ? शायद ये लोग भूल गए ये लोग भी एक कर्मचारी ही है तभी तो मोटी मोटी रकम वेतन के रूप में लेते हैं । उसके बावजूद आप लोगों से देश की भलाई के लिए संसद में काम नहीं किया जाता । क्या देश के किसी भी भाग में किसी भी कंपनी का कोई भी कर्मचारी ऐसे हंगामे करके पूरा वेतन पा सकता है ? अगर उसको  वेतन नहीं मिल सकता तो इन नेताओं को क्यों ? इनको कोई हक नहीं है इस तरह देश की जनता की कमाई का दुरूपयोग करने का ।

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