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वो ऐतिहासिक जीत जिसने पूरा किया क्रिकेट के भगवान का सपना और 125 करोड़ जनता बोली " जय हो "

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  आज का दिन शायद ही कोई क्रिकेट प्रेमी भूला होगा , क्योंकि 2 अप्रैल की तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज है. ये विश्व कप अपने आप में बहुत अलग था. इंडियन क्रिकेट टीम जो 2007 क्रिकेट विश्व कप बुरी तरह हार कर आयी थी और उसका हौंसला एकदम टूटा हुआ था. तभी ऐलान होता है 2007 पहले T-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का , लेकिन इस वर्ल्ड कप में टीम के 3 बड़े खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर , सौरभ गांगुली , राहुल द्रविड़ खेलने से मना कर देते है और टीम की कमान एक युवा विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी के हाथ में आ जाती है पर किसी को ये नहीं पता था कि ये खिलाडी टीम इंडिया की किस्मत बदलने वाला है और हुआ भी वहीं टीम ने 2007 क्रिकेट वर्ल्ड कप में युवराज सिंह , गौतम गंभीर , श्रीसंत , हरभजन सिंह , इरफ़ान पठान जैसे युवा खिलाडियों के दम पर विश्व कप अपने नाम किया और इसमें जो सबसे बड़ा योगदान था वो ओर कोई नहीं टीम का युवा कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ही थे.  2011 विश्व कप की कहानी सबको पता है पर उससे पहले क्या हुआ शायद ही वो किसी को पता होगा। इस जीत की नींव 2008 से ही रखनी शुरू हो गई थी, जब BCCI ने टीम के नए कोच के रूप में गैरी कर्स्टन क...

फिर याद आई 16 दिसम्बर की काली रात , 9 साल बाद कितना बदला देश ?

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  16 दिसंबर की सर्द रात, वीरान-सी चलती सड़क और नीचे चुभती घास और भी न जाने क्या-क्या। नीचे जो चुभ रहा था, उसकी तकलीफ़ उतनी ज्यादा नहीं थी जितनी उसकी जो उसके शरीर पर चुभ रहा था। 5 फुट 5 इंच की लंबाई वाला उसका अपना शरीर भी इतना ही बड़ा लग रहा था जितना बड़ा वह सड़क । आम तौर पर एक शरीर में इतनी ही जगह होती है जितनी कि एक दूसरे शरीर के लिए काफी हो।  अगर किसी लड़की की रज़ामंदी के बगैर कोई उसे छुए, तब उसे कितनी खीझ होती है, इसका अंदाज़ा  लड़कियां तो लगा सकती हैं मगर पुरुष शायद नहीं लगा सकें। और अगर कोई किसी लड़की के बार-बार मना करने के बावज़ूद, उसकी ना को बिना कोई तवज़्जो दिए, बस अपनी इच्छा और मतलब के मुताबिक उसके शरीर का इस्तेमाल करे, तब उसकी खीझ और पीड़ा किस कदर बढ़ जाती होगी, ज़रा कल्पना करके देखिए। 16 दिसंबर हर साल की तरह इस साल भी आ गयी. लेकिन शायद ही उस 16 दिसम्बर 2012 की काली स्याह रात को कोई भूल पाया होगा। दिल वालों की दिल्ली में ऐसी घटना घटी क़ी जिसने भी उस घटना को सुना और देखा या महसूस किया होगा उसका मन आक्रोश से भर गया था. लेकिन बात आई और गयी जैसी ही होकर रह गयी. 2012 के...

छठ पूजा : घर बुलाता है यानि भावनाओं से भरा हुआ पर्व

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छठ पूजा ये सिर्फ एक पर्व नहीं हैं ये हर एक पूर्वाचल , बिहार , झारखंड , नेपाल के तराई क्षेत्रों के लिए एक Emotions हैं। बाहर गए हुए हर उस इंसान के लिए ये घर जाने का एक Reason होता हैं। चाहे वो बाहर पढ़ने गया हो Student हो या कमाने गया घर का सदस्य । आखिर ऐसा क्या है इस पर्व में जो इसका एतना बड़ा महत्व हैं तो चलिये बताता हूँ। वो कहावत तो सुनी ही होगी आप सबने कि " उगते सूरज को तो सब राम राम करते हैं" लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी इस त्योहार में सबसे पहले डूबते सूरज की पूजा की जाती हैं। इससे पता चलता है कि डूबते हुये इंसान भी जीवन में बहुत कुछ सीखा सकता है और उसका भी बहुत ज्यादा महत्व हैं, हालाकिं इसका हर कोई अलग अलग मतलब निकाल सकता हैं। चलिये जानते है कि आखिर क्यों छठ पर घर न जाने का दर्द किसी अपने से बिछड्ने से ज्यादा बड़ा दुख देती है जो भी इस त्योहार को मानता है।  आखिर क्यों मनाया जाता हैं छठ का ये महापर्व और क्या इसके पीछे की कहानी  छठ सिर्फ एक पर्व नहीं है, बल्कि महापर्व है, जो पूरे चार दिन तक चलता है। नहाए-खाए से इसकी शुरुआत होती है, जो डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर समा...

प्यार का एक अहसास ( शिद्दत फिल्म समीक्षा ) / Shiddat Movie Review

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  प्यार एक ऐसे एहसास का अमृत है जिसकी   एक बूंद भर से मरे हुये के भी भाव भी जग जाते हैं. मोहब्बत एक वो एहसास है , जिसे रूह से महसूस किया जा सकता है। यह उस अनादि अनंत ईश्वर की तरह है , जो सृष्टि के कण-कण में विद्यमान है। प्यार , जो हमारे संपूर्ण जीवन में विभिन्न रूपों में सामने आता है। जो यह एहसास दिलाता है कि जिन्दगी कितनी खूबसूरत है।   प्रेम इंसान को विनम्र बना देता है। रूखे से रूखे और क्रूर से क्रूर इंसान के मन में यदि किसी के प्रति प्रेम की भावना जन्म ले लेती है , तो संपूर्ण प्राणी जगत के लिए वह विनम्र हो जाता है। ऐसे कई उदाहरण हमारे ग्रंथों में मिलते हैं। प्रेम चाहे व्यक्ति विशेष के प्रति हो या ईश्वर के प्रति। आश्चर्यजनक रूप से उसकी सोच , उसका व्यवहार , उसकी वाणी सबकुछ परिवर्तित हो जाता है।   अब आप सोच रहे होंगे कि इतनी प्यार की बात क्यों हो रही है तो आज बात कर रहे है " शिद्दत " फिल्म की जो कि डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर अभी हाल में ही रिलीज हुई है , फिल्म में कोई बड़ा नाम नहीं है , नए कलाकारों को लेकर जन्नत और तुम मिले जैसी रोमांटिक फिल्में बना चुके कुणाल द...

किस्सा 1983 वर्ल्ड कप जीत का , जिसके बाद क्रिकेट बना धर्म / The Tale of the 1983 World Cup Victory — The Moment Cricket Became a Religion

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  25 जून एक ऐसी तारीख जिसको कोई क्रिकेट प्रेमी शायद ही भूल पाएगा , क्योंकि इसी दिन तो भारत ने विश्व पटल पर वो कारनामा कर दिखाया था जिसकी शायद किसी को भी उम्मीद बिलकुल ही नहीं थी, लेकिन वो कहावत तो सुनी ही होगी कि कभी किसी को कमजोर नहीं समझना चाहिए और इस विश्व कप में कपिल देव की अगुवाई वाली इस टीम इंडिया ने सबको बता दिया कि आज के बाद हमें किसी से कम मत समझना ।  अगर मैं कहूँ कि इस टीम ने आज के क्रिकेट कि नींव रखी तो शायद गलत नहीं होगा। ध्यान देने वाली बात है कि उस वक्त वेस्टइंडीज, इग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया सरीखी दिग्गज टीमों के सामने भारत की स्थिति बहुत बेहतर नहीं थी। कम से कम किसी ने भी फाइनल तक भारत के अभियान की कल्पना नहीं की होगी। लेकिन लगातार मैचों में अच्छे प्रदर्शन के बाद "अंडरडॉग" भारत ने पहले सेमीफाइनल में इंग्लिश टीम को हराया और अगले मैच में इतिहास रचा। भारत की सेमीफाइनल जीत के बाद लोगों ने माना कि टीम भले ही फाइनल में है लेकिन बेहतरीन खिलाड़ियों से सजी दो बार की विश्व चैंपियन वेस्टइंडीज के सामने कहीं नहीं टिकेगी। वेस्टइंडीज पहले दोनों विश्वकप जीतकर अजेय बना हुआ था। उस वक...

बटालिक का हीरो कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय

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कारगिल युद्ध जेहन में आते ही बहुत सारी बातें याद आ जाती हैं। कारगिल में भारतीय सेना की वीरता और पाकिस्तान की कायराना हरकत , नवाज शरीफ का पीठ पीछे सेना भेजना आदि कई बातें और सवाल मन में आते हैं। लेकिन आज उस वीर का जन्मदिन है जिसने कारगिल के युद्ध में अपनी वीरता से पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ते हुये वीरगति को प्राप्त हो गए थे। इस युद्ध में भारत के 527 वीर जवान शहीद हुये थे, इन्हीं में से एक नाम है इस विजय की नींव रखने वाले कैप्टन मनोज पांडे का, जिनकी कारगिल युद्ध में दिखाई गई बहादुरी के किस्से हर किसी के रोंगटे खड़े कर देते हैं। 25 जून 1975 में उत्तर प्रदेश के सीतापुर के साधारण से परिवार में जन्मे लेफ़्टिनेट मनोज कुमार पाण्डेय को बचपन से ही सेना में जाने का सपना था। बाल मनोज की शिक्षा सैनिक स्कूल से हुई और वहीं से उनके अंदर देश प्रेम की भावना जागृत हुई जो कि उनको सम्मान के सबसे ऊंचे स्तर पर लेकर गयी। मनोज की मां बचपन में उनको वीरता तथा सद्चरित्र की कहानियाँ सुनाया करती थीं और मनोज का हौसला बढ़ाती थीं कि वह हमेशा जीवन के किसी भी मोड़ पर चुनौतियों से घबराये नहीं और हमेशा सम्मान तथा यश की ...

मानसिक तनाव एक पहेली / Mental Stress A Puzzle

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आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है , लेकिन आज के समय में अगर ये कहूँ कि कोई भी मनुष्य ठीक नहीं है वो किसी न किसी प्रकार से बीमार हैं। आज के समय में सबसे बड़ी बीमारी के रूप में जो समस्या उभर कर आई है वो है मानसिक तनाव । आज के समय की सबसे खतरनाक बीमारी कहूँ तो शायद इसमें गलत नहीं होगा। आज के समय में इससे ग्रसित छोटे से लेकर बड़े तक हो रहे है लेकिन सबसे ज्यादा युवा वर्ग इसकी चपेट में है और सबसे चिंताजनक बात ये है कि इसके बारे में उनको खुद पता तक नहीं होता हैं।  सुशांत सिंह की मृत्यु ने सभी को झकझोरा था अथवा चिंतित किया था , इस हादसे से आम आदमी तो जरूर चिंतित हुआ पर बनावटी और खोखला बॉलीवुड भी दुखी हो सकता है ऐसा लगा भी नहीं।  किसी की मौत पर टीवी के सामने शृंगार करती मौकापरस्त हसीना इसका सिर्फ एक छोटा सा उदाहरण है। हाँ, मानव स्वभाव पर बहस की एक बार फिर से शुरुआत जरूर हो गई थी । भारतीय समाज की इकाई से शुरू करते हैं। दूसरों के जज्बातों और विचारों का सम्मान करना हमें ‘बचपन’ से सिखाया ही नहीं जाता है। ना ही इस पर चर्चा की जाती है और न इसे व्यावहारिक शिक्षा में शामिल करना ही जरूरी समझा जाता है। भ...