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कम समय में कैसे exam के लिए पढ़े / How to read for exam in a short time

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आने वाले है एक्जाम और आप सभी हो रहे है परेशान तो बिल्कुल भी परेशान होने की जरूरत नहीं हैं, बस पढिए इस ब्लॉग को जानिए कैसे करनी हैं तैयारी । दोस्तों एग्जाम पास आते ही हम सभी परेशान होने लगते हैं और एग्जाम का डर मन पर हावी होने लगता हैं, लेकिन मैं आपको बताऊंगा कि आपको कैसे पढ़ना हैं, कैसे तैयारी शुरू करनी हैं.  1. सोचो कम, करो ज्यादा  हम सभी जिस age में है उस age में करने से पहले सोचते हद से ज्यादा है जो की सही नहीं हैं। सिर्फ उतना ही सोचे जितने की जरूरत हैं। सोच आते ही उस पर वर्क करना शुरू कर देना चाहिए। ये ट्रिक सिर्फ एग्जाम के समय ही नहीं लाइफ में भी काम आएगा।  इसलिए सोचो कम और पढ़िए ज्यादा।  मान लीजिए कि आपने सोचा की मुझे पढ़ना है न तो उसके बाद ज्यादा सोचिए मत बस पढ़ना शुरू कर दीजिए ।  2. पढ़ना कैसे शुरू करें  सबसे पहले अपने sllybs को देखे और फिर उसके हिसाब से पढ़ना शुरू कर दें । आप सभी कॉलेज में हैं तो टीचर पढ़ाएगा या नहीं, कैसे पढ़े सब छोड़ कर sllybs देखे और sllybs में यूनिट के हिसाब से जहां से वो यूनिट मिलती है वहाँ से उसको पढ़ना शुरू कर दें, सिर्फ read करें, रट...

आखिर कब आजाद घूम पाएगी महिलाएं / When will women be able to move freely?

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16 दिसंबर जब भी ये तारीख आती है तो दिमाग में 2 तस्वीर सामने आती हैं, एक भारत - पाकिस्तान युद्ध में भारत की विजय की और दूसरी 2012 में हुए भयावह निर्भया कांड की । जब भी उस बारे में सोचता हूँ तो आत्मा कांप जाती हैं। 16 दिसंबर की सर्द रात, वीरान-सी चलती सड़क और नीचे चुभती घास और भी न जाने क्या-क्या। नीचे जो चुभ रहा था, उसकी तकलीफ़ उतनी ज्यादा नहीं थी जितनी उसकी जो उसके शरीर पर चुभ रहा था। 5 फुट 5 इंच की लंबाई वाला उसका अपना शरीर भी इतना ही बड़ा लग रहा था जितना बड़ा वह सड़क । आम तौर पर एक शरीर में इतनी ही जगह होती है जितनी कि एक दूसरे शरीर के लिए काफी हो। अगर किसी लड़की की रज़ामंदी के बगैर कोई उसे छुए, तब उसे कितनी खीझ होती है, इसका अंदाज़ा लड़कियां तो लगा सकती हैं मगर पुरुष शायद नहीं लगा सकें। और अगर कोई किसी लड़की के बार-बार मना करने के बावज़ूद, उसकी ना को बिना कोई तवज़्जो दिए, बस अपनी इच्छा और मतलब के मुताबिक उसके शरीर का इस्तेमाल करे, तब उसकी खीझ और पीड़ा किस कदर बढ़ जाती होगी, ज़रा कल्पना करके देखिए। आखिर एक बार फिर हर साल की तरह 16 दिसंबर फिर आ गई। लेकिन लेकिन शायद ही उस 16 दिसम्बर 2012...

ऑपरेशन ब्लू स्टार : देश की रक्षा या धर्म का अपमान

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  जून की शुरुआती दिन अक्सर पंजाब और उसमें गहरी रुचि रखने वालों के लिए मायने रखते हैं, क्योकि पंजाब के इतिहास में ऑपरेशन ब्लू स्टार किसी काले दिन से कम नहीं हैं। एक तरफ कहा जाए तो भारत की सुरक्षा के लिए सेना द्वारा किया गया ये ऑपरेशन बहुत ज्यादा जरूरी भी था। आखिर क्या ऐसे कारण थे जो उस समय की तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी को पवित्र गोल्डन टैम्पल पर सेना की कार्यवाही के लिए मजबूर होना पड़ा ? अगर यूं कहे कि ऑपरेशन ब्लू स्टार की नींव 1970 के दशक के अंत से ही पड़नी शुरू हो गयी थी। दरअसल पंजाब की राजनीति में 1970 का दशक के कुछ अंतिम वर्ष काफी कठिन होते जा रहे थे। 1970 के दशक के अंत में अकाली राजनीति में खींचतान और अकालियों की पंजाब संबंधित मांगों को लेकर शुरू हुआ था। 1978 में पंजाब की मांगों पर अकाली दल ने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव में सुझाव दिया गया था कि भारत की केंद्र सरकार का केवल रक्षा, विदेश नीति, संचार और मुद्रा पर अधिकार हो, अन्य सब विषयों पर राज्यों के पास पूर्ण अधिकार हों। अकाली दल चाहती थी कि भारत के उत्तरी क्षेत्र में उन्हें स्वायत्तता मिले। अकालियों ...

वो ऐतिहासिक जीत जिसने पूरा किया क्रिकेट के भगवान का सपना और 125 करोड़ जनता बोली " जय हो "

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  आज का दिन शायद ही कोई क्रिकेट प्रेमी भूला होगा , क्योंकि 2 अप्रैल की तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज है. ये विश्व कप अपने आप में बहुत अलग था. इंडियन क्रिकेट टीम जो 2007 क्रिकेट विश्व कप बुरी तरह हार कर आयी थी और उसका हौंसला एकदम टूटा हुआ था. तभी ऐलान होता है 2007 पहले T-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का , लेकिन इस वर्ल्ड कप में टीम के 3 बड़े खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर , सौरभ गांगुली , राहुल द्रविड़ खेलने से मना कर देते है और टीम की कमान एक युवा विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी के हाथ में आ जाती है पर किसी को ये नहीं पता था कि ये खिलाडी टीम इंडिया की किस्मत बदलने वाला है और हुआ भी वहीं टीम ने 2007 क्रिकेट वर्ल्ड कप में युवराज सिंह , गौतम गंभीर , श्रीसंत , हरभजन सिंह , इरफ़ान पठान जैसे युवा खिलाडियों के दम पर विश्व कप अपने नाम किया और इसमें जो सबसे बड़ा योगदान था वो ओर कोई नहीं टीम का युवा कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ही थे.  2011 विश्व कप की कहानी सबको पता है पर उससे पहले क्या हुआ शायद ही वो किसी को पता होगा। इस जीत की नींव 2008 से ही रखनी शुरू हो गई थी, जब BCCI ने टीम के नए कोच के रूप में गैरी कर्स्टन क...

फिर याद आई 16 दिसम्बर की काली रात , 9 साल बाद कितना बदला देश ?

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  16 दिसंबर की सर्द रात, वीरान-सी चलती सड़क और नीचे चुभती घास और भी न जाने क्या-क्या। नीचे जो चुभ रहा था, उसकी तकलीफ़ उतनी ज्यादा नहीं थी जितनी उसकी जो उसके शरीर पर चुभ रहा था। 5 फुट 5 इंच की लंबाई वाला उसका अपना शरीर भी इतना ही बड़ा लग रहा था जितना बड़ा वह सड़क । आम तौर पर एक शरीर में इतनी ही जगह होती है जितनी कि एक दूसरे शरीर के लिए काफी हो।  अगर किसी लड़की की रज़ामंदी के बगैर कोई उसे छुए, तब उसे कितनी खीझ होती है, इसका अंदाज़ा  लड़कियां तो लगा सकती हैं मगर पुरुष शायद नहीं लगा सकें। और अगर कोई किसी लड़की के बार-बार मना करने के बावज़ूद, उसकी ना को बिना कोई तवज़्जो दिए, बस अपनी इच्छा और मतलब के मुताबिक उसके शरीर का इस्तेमाल करे, तब उसकी खीझ और पीड़ा किस कदर बढ़ जाती होगी, ज़रा कल्पना करके देखिए। 16 दिसंबर हर साल की तरह इस साल भी आ गयी. लेकिन शायद ही उस 16 दिसम्बर 2012 की काली स्याह रात को कोई भूल पाया होगा। दिल वालों की दिल्ली में ऐसी घटना घटी क़ी जिसने भी उस घटना को सुना और देखा या महसूस किया होगा उसका मन आक्रोश से भर गया था. लेकिन बात आई और गयी जैसी ही होकर रह गयी. 2012 के...

छठ पूजा : घर बुलाता है यानि भावनाओं से भरा हुआ पर्व

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छठ पूजा ये सिर्फ एक पर्व नहीं हैं ये हर एक पूर्वाचल , बिहार , झारखंड , नेपाल के तराई क्षेत्रों के लिए एक Emotions हैं। बाहर गए हुए हर उस इंसान के लिए ये घर जाने का एक Reason होता हैं। चाहे वो बाहर पढ़ने गया हो Student हो या कमाने गया घर का सदस्य । आखिर ऐसा क्या है इस पर्व में जो इसका एतना बड़ा महत्व हैं तो चलिये बताता हूँ। वो कहावत तो सुनी ही होगी आप सबने कि " उगते सूरज को तो सब राम राम करते हैं" लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी इस त्योहार में सबसे पहले डूबते सूरज की पूजा की जाती हैं। इससे पता चलता है कि डूबते हुये इंसान भी जीवन में बहुत कुछ सीखा सकता है और उसका भी बहुत ज्यादा महत्व हैं, हालाकिं इसका हर कोई अलग अलग मतलब निकाल सकता हैं। चलिये जानते है कि आखिर क्यों छठ पर घर न जाने का दर्द किसी अपने से बिछड्ने से ज्यादा बड़ा दुख देती है जो भी इस त्योहार को मानता है।  आखिर क्यों मनाया जाता हैं छठ का ये महापर्व और क्या इसके पीछे की कहानी  छठ सिर्फ एक पर्व नहीं है, बल्कि महापर्व है, जो पूरे चार दिन तक चलता है। नहाए-खाए से इसकी शुरुआत होती है, जो डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर समा...

प्यार का एक अहसास ( शिद्दत फिल्म समीक्षा ) / Shiddat Movie Review

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  प्यार एक ऐसे एहसास का अमृत है जिसकी   एक बूंद भर से मरे हुये के भी भाव भी जग जाते हैं. मोहब्बत एक वो एहसास है , जिसे रूह से महसूस किया जा सकता है। यह उस अनादि अनंत ईश्वर की तरह है , जो सृष्टि के कण-कण में विद्यमान है। प्यार , जो हमारे संपूर्ण जीवन में विभिन्न रूपों में सामने आता है। जो यह एहसास दिलाता है कि जिन्दगी कितनी खूबसूरत है।   प्रेम इंसान को विनम्र बना देता है। रूखे से रूखे और क्रूर से क्रूर इंसान के मन में यदि किसी के प्रति प्रेम की भावना जन्म ले लेती है , तो संपूर्ण प्राणी जगत के लिए वह विनम्र हो जाता है। ऐसे कई उदाहरण हमारे ग्रंथों में मिलते हैं। प्रेम चाहे व्यक्ति विशेष के प्रति हो या ईश्वर के प्रति। आश्चर्यजनक रूप से उसकी सोच , उसका व्यवहार , उसकी वाणी सबकुछ परिवर्तित हो जाता है।   अब आप सोच रहे होंगे कि इतनी प्यार की बात क्यों हो रही है तो आज बात कर रहे है " शिद्दत " फिल्म की जो कि डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर अभी हाल में ही रिलीज हुई है , फिल्म में कोई बड़ा नाम नहीं है , नए कलाकारों को लेकर जन्नत और तुम मिले जैसी रोमांटिक फिल्में बना चुके कुणाल द...