Posts

पद्मावती एक विवाद

पद्मावती आई तो थी मनोरंजन के लिए, मगर उसे क्या पता था कि उसके आने से यहां के लोगों की भावनाएं आहत होगी । ठेस भी क्या बला है कि जब चाहो, तभी लगती है । वरना इतिहास के पन्नों में दबी, ...

बेमिसाल सचिन

अलविदा सचिन तेंदुलकर शनिवार का दिन सचिन के नाम रहा. भारत की तरफ से मोहम्मद शमी ने जैसे ही दसवीं विकेट झटकी, मैदान में चारों ओर सचिन-सचिन का शोर गूंज रहा था. टीम इंडिया के खिलाड...

सचिन तेंडुलकर

तेरे घुंगराले बालो के बीच वो मुस्कुराहट वो दिलो को मिलना खुशी जब सुने तेरे कदमो की आहट वो तेरा सेंचुरी के पास आना वो हमारी घबराहट नही भूलूँगा मैँ जब तक है जान जब तक है जान वो ...

प्यार एक शब्द

प्यार, एक शब्द भर होता तो पोंछ देती उसे अपने जीवन के कागज से, प्यार, होता अगर कोई पत्ता झरा देती उसे अपने मन की क्यारी से प्यार, होता जो एक गीत, भूल चुकी होती मैं उसे कभी गुनगुना...

जिंदगी

जिंदगी है बहुत हसीन यारों इसे जीना सीखो कभी हंसना तो कभी रोना सीखो सुख और दुख है इसके दो भाई जो सदा इंसान के साथ बनकर रहते है हमराही जिंदगी में बहुत मिलेंगे ऐसे लोग जो कहेंगे तुम्हें अपना दोस्त यारों ये जिंदगी तुम्हारी लेती रहती है परीक्षा जो तुम्हें दिखता है कभी धोखा , तो कभी समस्या यारों जो इस मुश्किल को कर लेता है पार, वहीं कहलाता है सुपरस्टार जिंदगी बहुत हसीन है यारों इसे जीना सीखो ।

लिखने का मन करता है

बहुत कुछ है मन में लिखने का दिल करता है पर अगर मैंने बोला सच तो शायद मैं भी विद्रोही कहलाऊंगा मुझे भी मिलेगा देश निकाला तो शायद मैं भी तड़ीपार कहलाऊंगा बहुत कुछ है मन में कहन...

समकालीन संदर्भ में 'अंधेर नगरी' की प्रासंगिकता

व्यक्ति का मूल स्वभाव और प्रवृतियाँ हर युग में एक-सी ही रही हैं। सतयुग में भी कलयुगी स्वभाव वाले थे और कलयुग में भी सतसुगी स्वभाव वाले सज्जन मिल जाते है। अच्छे-बुरे लोगों का संख्यात्मक अनुपात कम-अधिक हो सकता है पर यह नहीं हो सकता कि किसी युग में उन्हें आधार बना कर लिखा गया साहित्य दूसरे समय या स्थान या स्थान के लिए अनुपयोगी हो । साहित्य तो कालजयी होता है और फिर भारतेन्दु के साहित्य का सन्दर्भ तो वही है जो हमारे आज का समय है। राजनीतिक स्थितियों अवश्य बदली है और इस कारण कुछ सामाजिक आर्थिक और धार्मिक आधार परिवर्तित हुए है - शेष सब कुछ वैसा ही है, इसलिए 'अंधेर नगरी' पूर्ण रूप से समकालीन संदर्भ में प्रांसगिक है, जिसे निग्नलिखित आधारों पर स्पष्ट किया जा सकता है - 1. राजनीतिक संदर्भ - भारतेन्दु ने चौपट्ट राजा के माध्यम से राजनीतिक भ्रष्टता, अदूर दृष्टि और कौशल हीनता को प्रकट किया था । वर्तमान समय में भी उनके राजनीतिज्ञ, सरकारी वर्ग के अधिकारी और उच्च पदों पर आसीन मठाधीश इसी वर्ग से सम्बंधित हैं। उनकें द्वारा किए गए मूर्खतापूर्ण कार्य भी गुमराह जनता के लिए आदर्श बन जाते हैं जनता ...