लिखने का मन करता है
बहुत कुछ है मन में
लिखने का दिल करता है
पर अगर मैंने बोला सच तो शायद मैं भी विद्रोही कहलाऊंगा
मुझे भी मिलेगा देश निकाला तो शायद मैं भी तड़ीपार कहलाऊंगा
बहुत कुछ है मन में
कहने का दिल करता है
पर क्या अगर मैंने अपना दिल खोल तो
कोई समझ पाएगा
मेरे अंदर रोज़ उठते सवालों को
जिंदा होते मरते सवालों को
बहुत कुछ है मन में
किसी से साझा करने का मन करता है
पर क्या अगर मैंने साझा किया तो
कोई मेरी चिंता को समझ पाएगा
क्या वो मेरे अंदर उठते तूफान शांत कर पाएगा
बहुत कुछ है मन,
लिखने का दिल करता है
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