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Showing posts from 2022

आखिर कब आजाद घूम पाएगी महिलाएं / When will women be able to move freely?

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16 दिसंबर जब भी ये तारीख आती है तो दिमाग में 2 तस्वीर सामने आती हैं, एक भारत - पाकिस्तान युद्ध में भारत की विजय की और दूसरी 2012 में हुए भयावह निर्भया कांड की । जब भी उस बारे में सोचता हूँ तो आत्मा कांप जाती हैं। 16 दिसंबर की सर्द रात, वीरान-सी चलती सड़क और नीचे चुभती घास और भी न जाने क्या-क्या। नीचे जो चुभ रहा था, उसकी तकलीफ़ उतनी ज्यादा नहीं थी जितनी उसकी जो उसके शरीर पर चुभ रहा था। 5 फुट 5 इंच की लंबाई वाला उसका अपना शरीर भी इतना ही बड़ा लग रहा था जितना बड़ा वह सड़क । आम तौर पर एक शरीर में इतनी ही जगह होती है जितनी कि एक दूसरे शरीर के लिए काफी हो। अगर किसी लड़की की रज़ामंदी के बगैर कोई उसे छुए, तब उसे कितनी खीझ होती है, इसका अंदाज़ा लड़कियां तो लगा सकती हैं मगर पुरुष शायद नहीं लगा सकें। और अगर कोई किसी लड़की के बार-बार मना करने के बावज़ूद, उसकी ना को बिना कोई तवज़्जो दिए, बस अपनी इच्छा और मतलब के मुताबिक उसके शरीर का इस्तेमाल करे, तब उसकी खीझ और पीड़ा किस कदर बढ़ जाती होगी, ज़रा कल्पना करके देखिए। आखिर एक बार फिर हर साल की तरह 16 दिसंबर फिर आ गई। लेकिन लेकिन शायद ही उस 16 दिसम्बर 2012...

ऑपरेशन ब्लू स्टार : देश की रक्षा या धर्म का अपमान

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  जून की शुरुआती दिन अक्सर पंजाब और उसमें गहरी रुचि रखने वालों के लिए मायने रखते हैं, क्योकि पंजाब के इतिहास में ऑपरेशन ब्लू स्टार किसी काले दिन से कम नहीं हैं। एक तरफ कहा जाए तो भारत की सुरक्षा के लिए सेना द्वारा किया गया ये ऑपरेशन बहुत ज्यादा जरूरी भी था। आखिर क्या ऐसे कारण थे जो उस समय की तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी को पवित्र गोल्डन टैम्पल पर सेना की कार्यवाही के लिए मजबूर होना पड़ा ? अगर यूं कहे कि ऑपरेशन ब्लू स्टार की नींव 1970 के दशक के अंत से ही पड़नी शुरू हो गयी थी। दरअसल पंजाब की राजनीति में 1970 का दशक के कुछ अंतिम वर्ष काफी कठिन होते जा रहे थे। 1970 के दशक के अंत में अकाली राजनीति में खींचतान और अकालियों की पंजाब संबंधित मांगों को लेकर शुरू हुआ था। 1978 में पंजाब की मांगों पर अकाली दल ने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव में सुझाव दिया गया था कि भारत की केंद्र सरकार का केवल रक्षा, विदेश नीति, संचार और मुद्रा पर अधिकार हो, अन्य सब विषयों पर राज्यों के पास पूर्ण अधिकार हों। अकाली दल चाहती थी कि भारत के उत्तरी क्षेत्र में उन्हें स्वायत्तता मिले। अकालियों ...

वो ऐतिहासिक जीत जिसने पूरा किया क्रिकेट के भगवान का सपना और 125 करोड़ जनता बोली " जय हो "

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  आज का दिन शायद ही कोई क्रिकेट प्रेमी भूला होगा , क्योंकि 2 अप्रैल की तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज है. ये विश्व कप अपने आप में बहुत अलग था. इंडियन क्रिकेट टीम जो 2007 क्रिकेट विश्व कप बुरी तरह हार कर आयी थी और उसका हौंसला एकदम टूटा हुआ था. तभी ऐलान होता है 2007 पहले T-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का , लेकिन इस वर्ल्ड कप में टीम के 3 बड़े खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर , सौरभ गांगुली , राहुल द्रविड़ खेलने से मना कर देते है और टीम की कमान एक युवा विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी के हाथ में आ जाती है पर किसी को ये नहीं पता था कि ये खिलाडी टीम इंडिया की किस्मत बदलने वाला है और हुआ भी वहीं टीम ने 2007 क्रिकेट वर्ल्ड कप में युवराज सिंह , गौतम गंभीर , श्रीसंत , हरभजन सिंह , इरफ़ान पठान जैसे युवा खिलाडियों के दम पर विश्व कप अपने नाम किया और इसमें जो सबसे बड़ा योगदान था वो ओर कोई नहीं टीम का युवा कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ही थे.  2011 विश्व कप की कहानी सबको पता है पर उससे पहले क्या हुआ शायद ही वो किसी को पता होगा। इस जीत की नींव 2008 से ही रखनी शुरू हो गई थी, जब BCCI ने टीम के नए कोच के रूप में गैरी कर्स्टन क...