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Showing posts from June, 2021

किस्सा 1983 वर्ल्ड कप जीत का , जिसके बाद क्रिकेट बना धर्म / The Tale of the 1983 World Cup Victory — The Moment Cricket Became a Religion

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  25 जून एक ऐसी तारीख जिसको कोई क्रिकेट प्रेमी शायद ही भूल पाएगा , क्योंकि इसी दिन तो भारत ने विश्व पटल पर वो कारनामा कर दिखाया था जिसकी शायद किसी को भी उम्मीद बिलकुल ही नहीं थी, लेकिन वो कहावत तो सुनी ही होगी कि कभी किसी को कमजोर नहीं समझना चाहिए और इस विश्व कप में कपिल देव की अगुवाई वाली इस टीम इंडिया ने सबको बता दिया कि आज के बाद हमें किसी से कम मत समझना ।  अगर मैं कहूँ कि इस टीम ने आज के क्रिकेट कि नींव रखी तो शायद गलत नहीं होगा। ध्यान देने वाली बात है कि उस वक्त वेस्टइंडीज, इग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया सरीखी दिग्गज टीमों के सामने भारत की स्थिति बहुत बेहतर नहीं थी। कम से कम किसी ने भी फाइनल तक भारत के अभियान की कल्पना नहीं की होगी। लेकिन लगातार मैचों में अच्छे प्रदर्शन के बाद "अंडरडॉग" भारत ने पहले सेमीफाइनल में इंग्लिश टीम को हराया और अगले मैच में इतिहास रचा। भारत की सेमीफाइनल जीत के बाद लोगों ने माना कि टीम भले ही फाइनल में है लेकिन बेहतरीन खिलाड़ियों से सजी दो बार की विश्व चैंपियन वेस्टइंडीज के सामने कहीं नहीं टिकेगी। वेस्टइंडीज पहले दोनों विश्वकप जीतकर अजेय बना हुआ था। उस वक...

बटालिक का हीरो कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय

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कारगिल युद्ध जेहन में आते ही बहुत सारी बातें याद आ जाती हैं। कारगिल में भारतीय सेना की वीरता और पाकिस्तान की कायराना हरकत , नवाज शरीफ का पीठ पीछे सेना भेजना आदि कई बातें और सवाल मन में आते हैं। लेकिन आज उस वीर का जन्मदिन है जिसने कारगिल के युद्ध में अपनी वीरता से पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ते हुये वीरगति को प्राप्त हो गए थे। इस युद्ध में भारत के 527 वीर जवान शहीद हुये थे, इन्हीं में से एक नाम है इस विजय की नींव रखने वाले कैप्टन मनोज पांडे का, जिनकी कारगिल युद्ध में दिखाई गई बहादुरी के किस्से हर किसी के रोंगटे खड़े कर देते हैं। 25 जून 1975 में उत्तर प्रदेश के सीतापुर के साधारण से परिवार में जन्मे लेफ़्टिनेट मनोज कुमार पाण्डेय को बचपन से ही सेना में जाने का सपना था। बाल मनोज की शिक्षा सैनिक स्कूल से हुई और वहीं से उनके अंदर देश प्रेम की भावना जागृत हुई जो कि उनको सम्मान के सबसे ऊंचे स्तर पर लेकर गयी। मनोज की मां बचपन में उनको वीरता तथा सद्चरित्र की कहानियाँ सुनाया करती थीं और मनोज का हौसला बढ़ाती थीं कि वह हमेशा जीवन के किसी भी मोड़ पर चुनौतियों से घबराये नहीं और हमेशा सम्मान तथा यश की ...