इतवार तुम भी आ जाओ
इतवार तुम भी आ जाओ कैसा-कैसा खाली गुजर जाता है । तुम भी नहीं इतवार बहुत ही बोरिंग सा लगता है तुम भी अब आ जाओ । कैसा कैसा खाली गुजर जाता है सुबह की चाय फीकी सी लगती है । दोपहर बेगा...
अनजान मुसाफिर हूँ , सच लिखता हूँ इसलिए बागी कहलाता हूँ, डिजिटल वाली इस दुनिया में क्लासिक सा दिखता हूँ।। ज्यादा जानना हो तो ब्लॉग पढ़ लेना । जय हिन्द