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विदाई नहीं, एक नई शुरुआत का नाम है “कॉलेज”

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कॉलेज का आख़िरी दिन यानी अब इस कॉलेज से आपका सफर ख़त्म हो चुका है। अक्सर यही तो सुना है हमने—चाहे वह इंस्टाग्राम की कोई रील हो या बॉलीवुड की कोई फ़िल्म। लेकिन जब भी यह पल आता है, यक़ीन मानिए, मन और दिल दोनों भारी हो जाते हैं। इस दिन ऐसा लगता है, मानो अभी कल ही की तो बात है जब हम सब पहली बार कॉलेज के गेट से अंदर दाख़िल हुए थे... और आज वही पल आ गया है जब इसी कॉलेज में आने के लिए हमें अब बहाना ढूँढना पड़ेगा या अलग से समय निकालना होगा। शायद अब वो दोस्तों के साथ क्लास की मस्ती नहीं होगी। क्लास बंक कर केंटीन की चाय और समोसे ज़रूर याद आएँगे। कॉलेज एक ऐसी जगह है, जिसके बारे में जब आप किसी से पूछो—चाहे वह बड़ा कॉलेज हो या छोटा—तो शुरुआत में वह उसकी बुराइयाँ ही करेगा। लेकिन जैसे ही आख़िरी दिन आता है, उसी के दिल में उस कॉलेज के लिए इतना प्यार उमड़ आता है कि आँखें भर जाती हैं। कॉलेज है ही ऐसा—जहाँ हम एक अनजान के रूप में आते हैं और एक परिवार पाते हैं। क्लासरूम की मस्ती से लेकर असाइनमेंट की टेंशन तक, और कैंटीन की चाय से लेकर दोस्तों के उधार तक—शायद इसी को तो कॉलेज कहते हैं। याद है पहला दिन ? वो घबरा...